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Dr. Poonam Gujrani

Abstract

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Dr. Poonam Gujrani

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फागुनी दोहे

फागुनी दोहे

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केसरिया है ओढ़नी, और गुलाबी गाल।

पायल बाजे प्रेम की, रस टपकाती चाल।।


तीखे- तीखे नयन हैं, काजल करे धमाल।

अधरों की मुस्कान ने, भरा प्रेम का ताल।।


महकी-महकी है हवा, उङता लाल गुलाल।

बचना मुश्किल हो गया, फागुन फेंके जाल।।


सुबह सुनहरी हो गई, संध्या लाल गुलाल।।

किया प्रेम का आचमन, हो गई मालामाल।।


इस फागुन के सामने, डाले जब हथियार।

जीवन में मधुरस घुला, मिला प्रेम उपहार।।


फागुन तेरे देश में, जित देखूँ उत लाल।

पिय ने पिचकारी भरी, हाल हुआ बेहाल।।


जिनके पिय घर पर नहीं, उनको रहा मलाल।

ठंडी आहें भर रहे, हाँ जैसे कंगाल।।


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