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Abha Chauhan

Abstract

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Abha Chauhan

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पहाड़ों की गोद

पहाड़ों की गोद

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पर्वतों की गोद से निकल रही है

कल-कल करती जलधारा

कितना मनमोहक दिखता है

दृश्य ये प्यारा प्यारा


यह पशु - पक्षी चहचहाते हुएं

प्रकृति की गोद में रहे हैं खेल

जरा दूर नजरें उठा कर देखो तो

धरती अंबर का हो रहा है मेल


धरती पर बहती नदियां

मधुर संगीत सुना रही है

हवा से डोलती हुई पत्तियां

गीत कोई गुनगुना रही है


पर्वतों की ऊंची ऊंची चोटियां

बर्फ का दुशाला पहने खड़ी है

एक तैनात सिपाही की तरह

भारत की रक्षा करते खड़ी है


प्रकृति का मनोरम तस्वीर

मन को लुभा रही है

चारों दिशाएं मिलकर

मधुर संगीत गा रही है।


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