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अच्युतं केशवं

Abstract

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अच्युतं केशवं

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पहाड़ को घाटी से जोड़ती सड़क

पहाड़ को घाटी से जोड़ती सड़क

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पहाड़ को घाटी से जोड़ती सड़क

पहाड़ चढ़ती है

उनके लिए जो बसते हैं

नीचे घाटी में

जिन्हें लुभाती हैं

पहाड़ की ऊँची चोटियाँ।


सामान्य की तुलना में

पहाड़ की और बढ़ते

कदमों की गति

कम होती है

और

कमर झुक जाती है

ऊँचाई के साथ

साँस फूलती है

तब

सड़क कहती है

चले चलो

चले चलो

मेरे साथ।


किन्तु

पहाड़ से उतरते लोगों के लिए

सड़क एक ढलान है

जो जल्दी से जल्दी

उन्हें

पहुँचाना चाहती है

वहीं

जहाँ से वे कभी चले थे।


ऊँचाई एक आकर्षण है

अभिलाषा है

पर साथ ही

ऊँचाई पर अकेलापन है

अपरिचय है

उदासी है।


नीचे घाटी में

घर है

घर की फुलवारी है।



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