पहाड़ हैं विरासत
पहाड़ हैं विरासत
पहाड़ है विरासत धरोहर है ...
ये इतिहास को ..
आँखों से देखने वाले ...
हमारे बहुत करीबी पूर्वज
हैं .......इन्हें कोटि कोटि
वंदन है ! नमन है !
पहाड़ जब भी थे जब
हम नहीं थे ........
काल कोई भी आया ..
सतयुग, त्रेता, द्वापर
कलयुग ..इसने हर युग
में अपने आशीष से
मानव जाति के लिए
अन्न जल और पोषण
की सामग्री को जुटाया
पहाड़ हैं तो नदियाँ हैं
झरने हैं खेत हैं ...
खलिहान हैं ..हरे भरे
मैदान हैं ...और
खेतों से बरसता सोना है !
पहाड़ हैं तो श्वेत हिमखंड हैं
और शीतल जल के कुंड हैं
वन्य सम्पदा को पल्लवित
पुष्पित करते ये पहाड़ ..
जो सदा से ही अखंड हैं !
अगर नदी हैं लोकमाता !
तो ये भी पिता से देवतुल्य हैं !
तभी तो उत्तराखंड और हिमाचल
कहलाए , देवताओं की भूमि !
कैलाश मानसरोवर ..केदारनाथ
बद्रीनाथ वैष्णो देवी आदि पावन
तीर्थ स्थलों की पावन भूमि !
तुम्हें वंदन है ! तुम्हें वंदन है !
पहाड़ जब तक हरे हैं !
पहाड़ जब तक हिम से ढके हैं !
पहाड़ जब तक शांत हैं !
पहाड़ जब तक वनों से आच्छादित हैं
तब तक नदियाँ भी बहती रहेंगी
और मैदानों को ..खेत खलिहानों
की प्यास बुझाती रहेंगी ..
