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निखिल कुमार अंजान

Abstract

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निखिल कुमार अंजान

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पड़ोसी बेचारा......

पड़ोसी बेचारा......

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पड़ोसी हमारा 

बहुत बीमार बेचारा

फिर भी उसने अपना

आचरण नहीं सुधारा

हालत बद से बदतर हो गई

फिर भी नापाक हरकत करता

ये पड़ोसी पाक बेचारा

अपना घर नहीं संभलता 

कश्मीर पाने को मचलता 

गीदड़ भपकी हमको दिखाता

बारूद के ढेर पे बैठा पड़ोसी बेचारा

संयुक्त राष्ट्र मे समर्थन की गुहार लगाए

हमारी नीति के आगे एक न चलने पाए

आतंकवाद को इसने ऐसे पाला कि

अपनी कब्र का इंतजाम खुद कर डाला

जब जब इसने युद्ध की स्थिति बनाई

हर बार इसने जबरदस्त मुंह की खाई

ऐ हरकत से अपनी बाज न आता

"आ बैल मुझे मार" खुद ही कहता जाता...... 



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