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Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Drama

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Dr. Razzak Shaikh 'Rahi'

Drama

पड़ाव

पड़ाव

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न जाने जिंदगी का ये कैसा पड़ाव है

जिस्म जख्मी,मन पर गहरे घाव है


ये तूफान है के थमने को राज़ी ही नही

और बीच भंवर में फंसी जीवन की नाव है


प्रेम के है भूखे,हम प्रेम के प्यासे है

सबसे रिश्तेदारी है, ये अपनो का गांव है


हिंदू है यहाँ,मुस्लिम भी,सिक्ख इसाई भी

इन्सानियत का केवल यहाँ पर अभाव है


जीवन का क्या है मतलब,ये किससे पूछे 'राही'

घने-घने बरगदों के नीचे भी,अब कहाँ छाँव है...?


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