पैसों की हुकूमत
पैसों की हुकूमत
गरीबो की बस्ती में हर जगह गम दिखा
उस जगह पत्थर नही कागज़ में रब दिखा
एक कागज का टुकड़ा जिसे चाहता है हर कोई
पैसा कहती है दुनिया इसे , जिसे पाना चाहता है हर कोई
सलामी नही मिलती इंसान की इज़्ज़त को
मिलती है सलामी पैसे की हुकूमत को
पूरी दुनिया के राजा का ताज पैसों के सर पर है
पैसों के कारण ही जुड़ता या टूटता एक घर है।