"पापा"
"पापा"
पापा सब कहते हैं, बदल जाते हैं सब ,
पर पापा मैंने तो आपको कभी बदलते हुए नहीं देखा।
जहां हमेशा आपकों ढूंढती थी,
आज भी आपको वहां ढूंढती हूं, तो मिल जाते हो मुझे आप वहां।
आपको बदला हुआ कैसे मान लूं पापा,
पता है मुझे, पहले आप मुझे अपनी सायकल से स्कूल छोड़ा करते थे, पर अब नहीं।
पर अब काॅलेज जाती हूं, आप नहीं जाते छोड़ने,
पर आपकी ढेर सारी हिदायतें तो होती है ना ,
जिसके साथ मैं हमेशा काॅलेज जाया करती हूं।
पहले आपके हाथों, मेरे बाल संवरते थे, पर अब नहीं,
लेकिन आपके द्वारा लाए रबड़ बैंड से मेरे बाल तो बंधते हैं ना ।
बचपन की वो चाॅकलेट, मुझे आज भी मिलती है पापा,
तो कैसे मान लूं, आप बदल गए हो पापा।
आपकी गोदी नहीं मिलती अब ,
पर आपका वो दूर से देखना और मेरे सर को सहला कर जाना,
आपकी गोद का अहसास करवाता है पापा।
जब बड़ी हुई मम्मा ने रसोई घर की जिम्मेदारी सौंपी,
तब मेरी उन जिम्मेदारी में आप भी थे पापा।
मेरी उन जिम्मेदारी में आपने हमेशा , मेरा साथ निभाया पापा,
मम्मा नहीं होती तो , उनकी जगह आप भी दिखते हो पापा।
तो कैसे मान लूं आप बदल गए हो पापा।
कहीं से आते हो आप तो ,
आज भी मुझे सबसे पहले पुकारा करते हो,
जिद करूं आज भी तो ,
आज भी आप उसे हंसते हुए पुरा करते हो।
तो कैसे मान लूं, आप बदल गए हो पापा।
आपकी मासूमियत और गुस्से से, हर रोज मिलती हूं पापा,
जो पहले भी थी, जो आज भी है।
मैं आपसे कुछ न कहूं ,
पर आप बिना कहे मुझे समझ लेते हो पापा।
आज आप मेरे लिए, अपनी पसंद का कुछ नहीं लाते हो,
पर आप अब मेरी पसंद की चीजें, अपने लिए लेते हो,
मेरे लिए मुस्कुराते हो।
मुस्कुरा कर आज भी कहते हो, सब ठीक है बेटा,
मेरी उम्र ने मुझे आपसे दूर रहने को कहा,
पर आपने हर चीज समझा ,
मुझे, मेरे मन को, सबको, सब कुछ ही ।
सब चीजों को आप उन दूरियों में जता जाते हो पापा।
तो आप ही बताइए ना पापा, कैसे मान लूं आप बदल गए हो पापा।
पापा आपसे मैं हूं, आपकी बेटी आपके बिना अधुरी है, कभी मेरा साथ ना छोड़ना पापा।
आप हमेशा खुश रहिए पापा
