"पल "
"पल "
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वो पल तुझसे एक गुजारिश सी है,
लौट आ ना वो सुनहरा पल बनकर।
जहां एक सुकूं सा था,
जहां एक हंसी सी थी।
खो गई वो मासूमियत और वो मासूम सा दिल,
फिर से वो मासूम सा दिल, वो मासूम सा पल बनकर आ जा।
बड़ी सयानी बना दिया तूने ,
शब्द, बातें सब चुभने सी लगी हैं,
ना चुभे ऐसा मन, ऐसा पल बनकर आ जा।
वो पल तुझसे बस इतनी सी गुज़ारिश सी है,
एक सुनहरा, मासूम सा पल बनकर आ जा।
