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Kalamkaar 51

Abstract

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Kalamkaar 51

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पापा

पापा

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खुदके बारे मे सोचते नहीं है।

ना हो अगर पैसे जेब मे बच्चो तबभी महंगी चीज़े खरीदने के लिए टोकते नहीं हैं।

करते हैं ख्वाइश सारी पूरे परिवार की हैं।

अगर हो तंग जेब तभी परिवार के लिए खर्चा करने से ख़ुद को रोकते नहीं हैं।

लेते अपने लिए कुछ नहीं, बच्चो के लिए पैसे बचाते हैं।


जीता हो अगर कोई इनाम बच्चे ने तो उसको कमरे मे अपने सज़ा कर रखते हैं।

हो अगर इम्तेहान बच्चे का तो उसको पढ़ाने के लिए ख़ुद भी जागते हैं।

आजाये परेशानी परिवार पर तो उससे नहीं वो भागते हैं।

हो रही अगर काम मे ख़ुदके तंगी तो वो घर मे नहीं बताते हैं।

ख़ुद घाटा वो सह जाते हैं।


खाते हैं ख़ुद आधा पेट मगर बच्चो को पूरा पेट खाना खिलाते हैं।

हो चाहें थके हुए कितने मगर बच्चा कहदे तो उसके साथ घूमने जाते हैं।

बाहर की चीज़े टॉफी, चॉकलेट खिलाते हैं।

हो अगर कही मेला तो वो भी घुमाकर लाते हैं।

खिलौने भी बच्चे को अपने जो चाहें वो दिलाते हैं।


सपने अगर तुम देखो वो तुम्हारे साथ उन सपनों को बुनते हैं।

सही और गलत का फरक समझाकर सही रास्ता तुमको दिखाते हैं

सपने सारे छोड़कर तुम हो जाओ सफल उस पर मेहनत करते जाते हैं।

अगर कही गिर गये तो हौसला तुम्हारा सातवे आसमान मे पंहुचाते हैं।

रास्ता सफल होने का वो भी तुमको दिखाते हैं।


जीवन अपना न्योछावार तुम पर और परिवार को जो

हरदम मुश्किलों से निकालते हैं।

वो पापा कहलाते हैं।


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