STORYMIRROR

ARVIND KUMAR SINGH

Inspirational

4  

ARVIND KUMAR SINGH

Inspirational

पानी अमृत है

पानी अमृत है

1 min
24.4K

कुऐं सारे सूखे पड़े हैं

टोंटी आंसू बहाती है

ताल तलैय्यों की जगह

बंजर नजर आती है


बूंद बूंद को तरस रहा

सीना धरती का रोता है

नादान आदमी इतने पर

भी आंख मूंद सोता है


पहले कभी न सोचा था

बोतल में बिकेगा ऐसे

हालात काबू नहीं अभी

फिर जीवन चलेगा कैसे


पानी की कमी से ही तो

महा अकाल पड़ा होता है

किसान बन के भिखारी 

बादलों को निहार रोता है


प्यास बुझाने को तरसेंगे

कहां का कैसा नहाना

अंधाधुंध बहालो पानी

फिर खूनी आंसू बहाना


बूंद हर एक पानी की

ही अमृत है भाई जानो

बचा सको बचाओ वर्ना

जीवन खत्म ही मानो


एक ही उपाय बचा बस

पानी को इकट्ठा कर लें

प्यासी न मर जाऐं पीढी

इसको जमीन में भर लें!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational