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गणेश नेगी

Romance

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गणेश नेगी

Romance

पागल है मेरा प्यार

पागल है मेरा प्यार

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तुम हंसती हो ना तो नूर लगती हो

क्या क्या लिख दूँ , वो हीर लगती हो

तकलीफ समझता हू मैं तेरी पर जाहिर नहीं होता

नशा हो जाए जिस बंद बॉटल से, वो चीज लगती हो

और हां👩‍⚕️

जाहिर इसलिए नही कर पाता की डर लगता हैं बातो से तेरी,

क्योंकि खत्म हुई महोबत का किरदार लगती हो

लड़ती हो पर दिल से साफ लगती हो,

पुरानी पड़े पलो की किताब लगती हो,

तुम जैसे थी पहले वैसे ही आज लगती हो

हस मत, पागल थी तुम पहले और अब भी लगती हो

प्यार, महोबात, इश्क करते होंगे नजाने कौन,

छोड़ कर नहीं जाते ना जो कभी, ऐसे दोस्त का विचार लगती हो।


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