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Pramod Bhandari

Drama

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Pramod Bhandari

Drama

ओनलाईन हो गया ज़माना

ओनलाईन हो गया ज़माना

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कहीं नही अब आना जाना,

ओनलाईन हो गया ज़माना ।

कागज़ कलम पुरानी बाते

बन्द हुए अब चिट्ठी खत,

अपनो से बतियाने की

नहीं किसी को अब फ़ुरसत ।


मन की बाते करनी हो तो

जरा स्काईप पर आ जाना,

कहीं नही अब आना जाना

ओनलाईन हो गया ज़माना ।


नहीं सुबह की चहल पहल

नहीं शाम हंगामो वाली,

चारो और वीराना लगता

गली मुहल्ले लगते खाली ।


यार-दोस्त सब व्हाट्स-अप्प पर

फ़ेसबुक पर दादा नाना,

कहीं नही अब आना जाना

ओनलाईन हो गया ज़माना ।


मोबाईल के आ जाने से

खत्म हुई अब दूरी सारी

काम करे सब चुटकी में

इन्टरनेट की महिमा भारी ।


लेन देन आसान हो गया

घर बैठे ही सब मंगवाना,

कहीं नही अब आना जाना

ओनलाईन हो गया ज़माना ।








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