ओ कोरोना तुम वापस आ गये
ओ कोरोना तुम वापस आ गये
ओ कोरोना तुम वापस क्यूँ आ गये
राहें कर दी मुश्किल जहान में छा गए
चले भी जाओ ना कोरोना तुम तो यहाँ से
सारी धरा के लोग तुम से घबरा गए।
तेरी दशहत से पूरा ब्रह्माण्ड हिला है
रोते है बादल रातों में खुशी से वो रिता है
ऐसे अश्क ऑखों से ना बहाओ तुम हमारे
तेरे दिये गमों से कण-कण भीगा है।
तुम क्यों हमें रूलाने वापस आ गये,
पहले ही कम दुखी थे जो तुम धरा में छा गए
मेरे भारत के कुछ किस्से अभी ताज़ा है
पुलवामा का दर्द भूल नहीं पाये और तुम आ गये।
अभी राहें जीने के लिये आसान नहीं हुई
आशा विश्वास की किरणें प्रज्वलित नहीं हुई
काली घटाओं ने घेर रखा है मेरी वसुंधरा को
अभी तक जीने की राह तुम से आसान नहीं हुई।
तुम से लड़ते लड़ते हम तो अब थक गए
घर की चारदीवारी में कैद हो कर रह गये
दो गज की दूरी मास्क सेनिटाईजिग कर कर
ये कैसी लहर चलाई तुम वापस आ गये।
बहुत हो गयी तेरी मनमानी अब नहीं चलेगी
तेरे खौफ़ से ये दुनियाँ अब नहीं रूकेगी
जीत जायेंगे हम जंग तन की तन से दूरी रख
बीत जायेगी विभावरी नव सुबह जल्दी आयेगी।