नया युद्ध
नया युद्ध
कविता प्रभुत्व का
कोई उद्घोष नहीं है
न शोर है
न फुसफुसाहट है कि
दमनकारी शक्तियों ने
हमारा हमसे छीन लिया है
सरकार निरंकुश हो गयी है
देश बेच रही है।
ऐसा कुछ भी नहीं है कविता
अंत की स्थापना सदृश्य।
अंत मूल्यों का हो
या आपस के प्रेम का
कविता एक आकर्षण है
जीवन का जीवंत
अपना होने के
सार्वभौमिक सन्देश की तरह।
नया युद्ध है
बिना हथियार
विध्वंसक युध्द
जीत लेने का,
जीवन में विश्वास का
इस हताश और निराश समय में।
