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Chhabiram YADAV

Abstract

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Chhabiram YADAV

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नवीन कदम

नवीन कदम

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नवीन कदम लेकर आया है 

नया सवेरा नवल प्रभात

इसके ओज से देखो कैसे

अंधकार पर होता आघात


सच्चाई को जग के आगे 

सुबह होते ही ले रखता है

सत्य की कसौटी पर संध्या को

दिवस के दर्पण में खूब परखता है


वंचितों को हक दिलवाता

सबका अधिकार बताता है

पर्दे पीछे क्या क्या होता है

सबको मंच पर लाता है


भूखी प्यासी जनता क्यूँ है

आपस में ही ठनता क्यूँ है

जन हिताय का लक्ष्य लेके

बने लोग अब संजय क्यूँ है


नवीन कदम भले अभी है

अन्याय को लिखे अभी है

कदम जब जम जायेंगे

जन गण मन सब गायेंगे।


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