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नवलपाल प्रभाकर "दिनकर"

Children Others

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नवलपाल प्रभाकर "दिनकर"

Children Others

नटखट बचपन

नटखट बचपन

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चिलचिलाती हुई धूप में

नंगे पाँव दौड़ जाना,

याद आता है वो बचपन

याद आता है बीता जमाना।


माँ डांटती अब्बा फटकारते

कभी-कभी लकड़ी से मारते

भूल कर उस पिटाई को

जाकर बाग में आम चुराना।

याद आता है वो बचपन

याद आता है बीता जमाना।


या फिर छुपकर दोपहर में

नंगे पाँव दबे-दबे से

लेकर घर से कच्छा तौलिया

गाँव से दूर नहर में नहाना।

याद आता है वो बचपन

याद आता है बीता जमाना।


या पेड़ों पर चढ़-चढ़ कर

झूलते डालों पर हिल डुलकर

चमक होती थी आँखों में

वो साथियों को वन में घुमाना।

याद आता है वो बचपन

याद आता है बीता जमाना।


पढ़ाई लिखाई से निजात पाकर

हंसते-खिलते और मुस्कुराकर

गर्मियों की प्यारी छुट्टियों में

नाना-नानी के यहाँ जाना।

याद आता है वो बचपन

याद आता है बीता जमाना।


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