माँ डांटती अब्बा फटकारते कभी-कभी लकड़ी से मारते भूल कर उस पिटाई को जाकर बाग में आम चुराना। माँ डांटती अब्बा फटकारते कभी-कभी लकड़ी से मारते भूल कर उस पिटाई को जाकर बाग म...
जिंदगी की बात ना करो एक लम्हा ही मुनासिब हैं। जिंदगी की बात ना करो एक लम्हा ही मुनासिब हैं।
जीते जी लोग बुरा भला कहते हैं और मरने के बाद तारीफों से थकते नहीं हैं जीते जी लोग बुरा भला कहते हैं और मरने के बाद तारीफों से थकते नहीं हैं