नसीब की दरकार
नसीब की दरकार
हौसले का पहाड़
उम्मीद का दरिया
और बदला नज़रिया
समझो तो मिले मंजिल
न समझो तो छूटे मंजिल।
इम्तहान की अदावत
अपका जुनून आपकी चाहत
और आपकी नेकनियत
घुलमिल जाए तो मिले मंजिल
घुलमिल न पाए तो छूटे मंजिल।
अपनी मेहनत पे यकीन
लौटा लाएगा अच्छे दिन
सबक ले, न हो गमगीन
दिल पे हो असर तो मिले मंजिल
दिल पे न हो असर तो छूटे मंजिल।
सिर्फ नसीब को ही मत कोसना
अपनी मेहनत को भी तुम कोसना
नसीब की दरकार, मेहनत न कभी पूरी की ना
समझते तो मिलती मंजिल
न समझे तो छूट गई मंजिल।