घड़ी
घड़ी
टिक-टिक करती घड़ी कह रही
आगे बढ़ते जाना
कितनी भी बाधाएं आये
मत रुकना घबराना
मौसम बदले, ऋतुएँ बदलें
तुमको नहीं बदलना
तेज धूप में बरसातों में
अडिग तुम्हें है चलना
समय न आता पुनः लौटकर
इसको नहीं गँवाना
व्यर्थ कभी मत समय बिताओ
कीमत इसकी जानो
यदि जीवन में आगे रहना
सदा समय पहचानो
लक्ष्य प्राप्त कर ऊँचे नभ तक
अपनी पहुँच बनाना
बार बार कब इस जीवन में
सबको अवसर मिलता
कहाँ शाख से पुष्प टूटकर
कभी दुबारा खिलता
सदुपयोग कर सदा समय का
अपने स्वप्न सजाना