माँ की आशीष
माँ की आशीष
मां की आशीष
सूरज सा चमकना
दिन रात सा चलना
कभी न थकना
कभी न हारना
अनवरत निरन्तरता
के भाव मे रहना
चाँद सी शीतल रहना
तारों से टिमटिमाना
न कभी धैर्य खोना
न कभी तुम हारना
बस सूरज सा चमकना
दिन रात सा चलना
न कोई शिकायत
न कोई रंजिश
बस कर्तव्यपरायणता मे लीन
धरती मां के जैसे
हो कोई पीपल वृक्ष जैसे
सदा बस ऐसे ही
धैर्य से सूझ बूझ से वीरता से
संयम से जीवन मे
निरंतरता की डोर लिए
चलते रहना ,उड़ते रहना
सूरज सा चमकना
दिन रात सा चलना
