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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

अबोर्शन

अबोर्शन

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बेटे की चाहत में

न जाने मार दी कितनी ही बेटियाँ

अब तो खुश हो न तुम

न जाने पेट पर चला दी कितनी छुरियाँ

जमाना भले आगे बढ़ा है

फ़िर सोच में क्यों पिछड़ा है

कौनसी बेटों से कम होती है बेटियाँ

कसूर तो ज़रा उस मासुम का बता दो

मारने के लिये न जाने

कितने अबोर्शन की,की गलतियाँ

हमें जन्म कौन देगा 

गर अबोर्शन से गर्भ में मार देंगे बेटियाँ

एक अबोर्शन वो भी बहुत बुरा है

शादी से पहले प्यार का गुनाह है

उसमे भी तो चलती है कसाई सी छुरियाँ

मोहब्ब्त तो एक पावन चीज़ है

नवसृजन का वो एक बीज है

फिर क्यों करते है लोग

अबोर्शन की गलतियां

बेटा हो चाहे बेटी हो या

फ़िर शादी पूर्व की गलती हो

हम क्यों करे अबॉर्शन 

गर बनती है स्वर्ग ये दुनियां



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