अहम् का श्राद्ध
अहम् का श्राद्ध
आज गंगा में अपने अहम् का श्राद्ध करने आई हूँ
इन्द्रियों का किया निरीक्षण,
शांति को दिया निमंत्रण,
क्रोध का पूर्ण रूप से तर्पण,
मोह को किया अग्नि में अर्पण,
आज भूले हुए उस प्रेम भाव के दर्शन करने आई हूँ
आज गंगा में अपने अहम् का श्राद्ध करने आई हूँ !
अंहकार का हुआ पिंडदान,
सद्भावना को दिया अह्वान,
ज्ञान के सागर में किया स्नान,
धैर्य का किया पूर्ण मन से ध्यान,
अपने वजूद के साथ आखिरी भोग करने आई हूँ
आज गंगा में अपने अहम् का श्राद्ध करने आई हूँ !
चावल रूपी पश्चाताप को गोल बनाकर,
उसमें तिल रूपी घृणा को त्यागकर,
तृष्णा, रोष भावों को जल में बहाकर,
कुशा रूपी संयम को उंगली में बांधकर,
अपने आत्मा को परमात्मा की गोद में सुलाने आई हूँ
आज गंगा में अपने अहम् का श्राद्ध करने आई हूँ !