STORYMIRROR

mona kapoor

Tragedy

2  

mona kapoor

Tragedy

नन्ही कली

नन्ही कली

1 min
202


माँ की कोख से नन्ही सी कली की आई पुकार,

मैं हूं तेरा अंश,माँ मुझे मत मार।


लेकर फैसला तू मुझसे छुटकारा पाना चाहती है,

अभिशाप समझकर ईश्वर के वरदान को तू क्यों ठुकराती है?


सिमटी मेरी दुनिया तुझ में, तू ही तो मेरा सहारा है,

अफ़सोस तेरी नासमझी ने हमारे रिश्ते को नकारा है।


तेरे आँचल के छावं तले मुझे भी सोना था,

तेरी परछाई बनकर मुझे बड़े होना था।


हूं बेटी आकर अपना नाम सार्थक कराना चाहती थी,

एबॉर्शन जैसे पाप की भागीदारी से तुझे बचाना चाहती थी।


मुझे आने तो देती ,मैं तेरा सम्मान बढ़ाती,

एक ना एक दिन तुझे गर्व महसूस करवाती।


खैर! तेरे फैसले का मान बढ़ाऊंगी,

अब चलती हूं पर याद तुझे ज़रूर आऊंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy