सुन मेरे हमसफर
सुन मेरे हमसफर
मेरे जीवन साथी इस पवित्र बंधन में,
हाथ थाम साथ चलना है।
राह की ऊंची नीची डगरिया को,
मिल कर पार करना है।
वर्चस्व रहेगा अधूरा हम दोनों
का एक दूजे बिना।
वक़्त की कसौटी में,
जीवन की चुनौती में,
सुख-दुःख में बन साथी,
साथ-साथ चलना है।
राह की ऊंची नीची डगरिया को,
मिल कर पार करना है।
कभी रूठे तो समझ कर,
आपस में मना लेंगे।
कुछ खट्टे -मीठे पलों को,
यादों में संजो लेंगे।
हाथ थाम, साथ निभा,
ज़िंदगी भर प्यार करना है।
राह की ऊंची नीची डगरिया को,
मिल कर पार करना है।
सुन मेरे हमसफर अपना
एक दूजे के गुण-अवगुण,
सींच कर प्यार, विश्वास व सम्मान से,
कर मिलन रूह से रूह का,
इस रिश्ते की डोर को और,
मजबूत करना है।
राह की ऊंची नीची डगरिया को,
मिल कर पार करना है।