नमन--दो शब्द
नमन--दो शब्द
गली गली संदेश भेज दो,
खबर भेजों चौबारों को
तोप के मुहाने पर रखवा दो,
देश के सारे गद्दारों को
अब शांति के नहीं कबूतर,
हम तूफां और आंधी हैं
अब हम गाल पर थप्पड़,
खाने वाले नहीं गांधी हैं
नहीं हिमाकत करे कोई
अब हम पर आंख उठाने की
हम रखते हैं इतनी हिम्मत,
उनकी पहचान मिटाने की
हमें याद वह सुभाष, आजाद,
भगतसिंह की कुर्बानी है
रक्त पुंज से सजी हुई स्वतंत्रता,
रणवीरों की निशानी है
कसम हमें है इस मिट्टी की,
तेरी आन नहीं झुकने देंगें
मां तेरे अस्मत की खातिर
बलिदानी कदम न रूकने देगें
जब तक जां में जान रहेगी,
तिरंगा शान से लहरायेगा
कोई हवा झोंका भी अब,
बिन पूछें न आ पायेगा
हम औरों की जोरू, जरा
जमीं पर आंख नही रखते हैं
पर अपनी पर कोई टिकाये,
कभी नहीं सह सकते हैं
आओ हम सब नमन करें,
उन आजादी के वीरों को
जिनने अपनी जांन गंवा दी,
सुन कर मां की पीरों को
अपने तन की लगा दी बाजी,
घर चौबारा छोड़ा था
अपने ही त्याग के बल पर,
दुश्मन का साहस तोड़ा था
यह धरा नहीं मातृभूमि है,
सुन लो इन हुंकारों को
तोप के मुहाने पर रखवा दो
देश के सारे गद्दारों को।