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Anjali Singh

Tragedy

3  

Anjali Singh

Tragedy

नम आँखें

नम आँखें

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क्यूँ ये होती हैं, नम आँखे, 

काटे कटते नहीं है, दिन और रातें। 


पलकें भीगी भी है, आँखे सूजी भी हैं। 

शब्द हैं ठहरे हुए, लबों पर।


जब ये बहती है, रोके रूकती नहीं, 

नदियों की धार बनकर बहती है। 


क्यूं ये होती हैं, नम आँखे... 

क्यूँ ये होती हैं, नम आँखे...... 


पल-छिन पल-छिन है, ये दिन 

कुछ राज है, कई बात है, 

संग नफरत की आग है,

सीने मे कहीं जो दर्द है बनकर दफ़न। 


जो करता है, इन आँखों को नम हर घड़ी।


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