" निशा माॅं "
" निशा माॅं "
मुस्कान है ' निशा माॅं 'अनेक घरों की
पहचान है' निशा माॅं 'हरेक स्वाद की ,
है स्कूटी चलाती फर्राटे से जब आती,
है हर रसोई घर में खुशबू तब आती ।
ऐसे तो होता है निशा का अर्थ 'रात '
पर ,सुबह निश्चित है रात के बाद,
और निकल पड़ती है, 'माॅं निशा '
जिम्मेदारी निभाने घरों की दस ,आठ ।
अपार भंडार छुपा है ' माॅं 'शब्द में,
ममता , त्याग, तपस्या, प्रेम में
समाहित है माॅं जिम्मेदारी से इनमें
माहिर है निशा माॅं इन सब गुणों में ।
टिफिन तैयार कर सुबह चार बजे बच्चों का अपने ,
चलती है घरों में हाथों के स्वादिष्ट भोजन सजाने अपने ,
पढ़ाया अपनी मेहनत की कमाई से बच्चों को अपने ,
देखा बहुतेक अपने घर को संजोने के सपने ।
बनवाया घर अपना पति बच्चों के लिए भी ,
ध्यान रखा जिसमें सबकी सुख-सुविधाओं का भी ,
बचत हो समय की, लिया स्कूटी अपने लिए भी ,
मदद हेतु बिठाती अपनी स्कूटी पर दोस्तों को भी ।
कोमल - कठोर का सम्मिश्रण निशा माॅं गदराए बदन की ,
साज-सज्जा में छोड़ जातीं हैं पीछे अच्छों को भी ,
झलक जाता है हर पर्व, त्यौहार उनके पहनावे से ही ,
लेते हैं सलाह फ़ैशन के नजरिए से लोग उनसे ही ।
है ' यशोदा माॅं ' .....निशा माॅं, बच्चों की ...
हुए हैं बड़े अनेक बच्चे निवाले खाकर इनके हाथों
की ,
रखते हैं याद इन्हें , हैं करते बातें इनकी ,
दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच अपनी ।
करते हैं कद्र हमसब खूब इनकी,
है गुज़ारिश बच्चों से भी इनकी ,
ऑंके कमतर न माॅं को अपनी,
पुण्य कार्य है उनकी माॅं करती
हैं माॅं यह समाज की, न कि सिर्फ उनकी ।
किया है साबित अपने को जूझते हुए कठिनाइयों से ,
है अंदाज जीवन को जीने का जिंदादिली से ,
है इच्छा ऊॅंचे ओहदों पर पहुॅंचाने का बच्चों को अपनी ,
है ईश्वर से विनती पूरी हो जाए ख्वाइश इनकी ।
