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Akhtar Ali Shah

Romance

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Akhtar Ali Shah

Romance

नीर बहाते हैं

नीर बहाते हैं

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गीत

नीर बहाते हैं

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किसे व्यथा दिल की बतलाएं, समझ न पाते हैं

विरही नैना खड़े द्वार पर, नीर बहाते हैं।  

*****

जबसे गए हैं साजन ,सीमा के प्रहरी बनकर,।

मिली नहीं है आज तलक, भी कोई खैर खबर।।

समय गुजरता है कैसे, ये कोई तो बतलाये,

कैसे कैसे कष्ट वहां पर, पिया उठाते हैं।

किसे व्यथा दिल की बतलाएं समझ न पाते हैं,

विरही नैना खड़े द्वार पर नीर बहाते हैं।।

*****

कंगन छूट गए हैं, मेहंदी महावर छूट गए ।

नींद उड़ी आँखों की, सुख के बिस्तर छूट गए।।

छेल छबीली रातों के, अरमान सपन बनकर,

सोते जागते हर पल हर दम, खूब चिढाते हैं।

किसे व्यथा दिल की बतलाएं समझ न पाते हैं,

विरही नैना खडे द्वार पर नीर बहाते हैं।।

******

पलकें बिछी हुई है पथ में, आज वो आएंगे।

दुखी पलों को भर बाहों में, जश्न मनाएंगे।।

नहीं रखेंगे कोई शिकायत, खुश कर देंगे वो,

उम्मीदों की गंगा में अरमान नहाते हैं।

किसे व्यथा दिल की बतलाएं समझ न पाते हैं,

विरही नैना खड़े द्वार पर नीर बहाते हैं।।

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अख्तर अली शाह "अनंत "नीमच


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