नीला आसमां
नीला आसमां


ज़मीं को अपने,
आगोश में लिए,
ये नीला आसमां।
हसीन "चांद-तारों,
से सजा दे दिया है,
रब ने ज़मीं को।
अपनी छत देकर,
क्या ख़ुबसूरत
नज़ारा,
दिया है।
क्यों ? नहीं महिला,
को भी उसकी छत,
उसका अपना आसमां,
दे दिया जाए।
सोचने को मजबूर है,
जब रब भेदभाव नहीं
करता अपने बंदो से,
फिर क्यों ?