नीला आसमान
नीला आसमान
दूर तक फ़ैला है नीला आसमान
कर सकते हो कितना भी विस्तार
यह हमें नील गगन है सिखा रहा
रखो बस खुद पर विश्वास
विष को कंठ में धारण किया था शिव ने
नीलकंठ नाम से जाने गए वो तब से
तिरंगे के मध्य में चक्र जो है बना
सतत कर्म रत रह संदेश हमें है दे रहा
दिन रात यूं ही अपने कर्तव्य का निर्वहन करो
मानव जीवन को सद्कार्यों से सुसज्जित करो।