नील गगन में उड़े चिरैया !!
नील गगन में उड़े चिरैया !!
नील गगन में उड़े चिरैया,देख के मनवा हर्षाया।
रंग बिरंगे पंख सलौने,आंगन नभ का महकाया।।
बोल सुरीले पैनी नजरें ,सब को राह दिखाती थी;
सन्मार्ग पर चले ये दुनिया,हमको हुनर सिखाती थी;
सांझ सवेरे गोरैया ने, अपना आंचल लहराया।।
नील गगन मे उड़ती.............................
धीरज से आगे बढ़ती वो ,मंजिल को पा जाती थी;
सायना कल्पना टैरेसा, औ दुर्गा बन कर भाती थी;
दीप जलाकर राष्ट्र-प्रेम का, परचम उसने फहराया।।
नील गगन मे उड़ती.............................
आलस्य को त्याग दो सारे ,श्रम का पाठ पढ़ाती थी;
अवगुणों में गुण हीं चुनें सब, गीत चिरैया गाती थी;.
सात रंग से भूमि सजा के,व्योम "पूर्णिमा" चमकाया।।
नील गगन मे उड़ती.............................
