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सोनी गुप्ता

Abstract

4.8  

सोनी गुप्ता

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नई शुरुआत का आगाज़

नई शुरुआत का आगाज़

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ज्योति किरण बनकर नभ से उतरकर अटारी पर आई है, 

नई शुरुआत का आगाज़ करने संग अपने उम्मीदें लाई हैI


देखो इस प्रेम के आंगन में आज फिर से वो धूप खिली है, 

रिश्तों का मधुर ताना-बाना बुनकर एक नई सुबह आई हैI


कहीं दिखता वो आवारा बादल कहीं सावन की कुछ बूंदे, 

खट्टी - मीठी यादों के संग कजरी का गीत सुनाने आई हैI


बीती बातों को भुलाकर कोई नया गीत गुनगुनाने के लिए, 

आंगन की धूप एक नई शुरुआत का आगाज़ करने आई हैI


मंगलमय हो जीवन सबका शुभकामना यही हमारे मन में, 

देखो संदेश लेकर सूरज की किरणें धरती पर उतर आई हैI 


आशीषों और आशीर्वादों की छाया में हमारा जीवन बीते, 

करना सम्मान बड़ों का जीवन ने यह बात हमें सिखाई हैI


आंचल में सबका प्यार लिए नैनों में सुख का संसार लिए, 

नई सुबह , नई आशा से एक नई शुरुआत करने आई हैI


रिश्तों की छोटी- सी बगिया में  खुशियों का सावन लिए, 

इच्छाओं की पोटली लिए एक नई शुरुआत करने आई है I


किसने दर्द दिया या किसने दी है पीड़ा इन बातों को छोड़, 

जिसने दी हैं खुशियाँ जीवन में सिर्फ उनमें ही सच्चाई है I


मुंडेर पर वो कागा बोल रहा जाने क्या- क्या संकेत देता, 

इन सभी संकेतों संग वो प्यारी-सी शाम ढलने को आई है I



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