नए बीज
नए बीज
कुछ ख्वाबों के बीज लाकर
मैंने दिल के गमले में बोये थे।
पसीने का पानी पिलाकर
पौधे भी उगा दिये।
वो बात और है कि
गमले की मिट्टी मेरे दिल में भर गई।
और दिल भर देख भी नहीं पाया
मैं उन पौधों को - उसके फूलों को।
क्योंकि मैं अकेला था...
काश! तुम साथ होते।
हम बुहारते रहते एक-दूसरे के दिल में भरी मिट्टी।
हम साथ ही सूंघते स्वप्न-पुष्पों की सुगंध भी।
खैर, अब तुम्हारे भी ख्वाब बदल गये
और मेरे भी।
मैं नए बीज ले आया हूँ,
नए गमले में बो रहा हूँ।
स्वप्न-पुष्पों की महक से परहेज़ के साथ-साथ,
डॉक्टर ने मुझे बिना मिट्टी के गमलों का नुस्खा लिखा है।
और जानता हूँ… तुम्हें भी यही लिखा है…

