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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

नदिया के पार

नदिया के पार

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पेड़ के 

तने की 

छाले भी 

सूख गई 

पत्ते भी 

पीले पड़ गये

जमीन पर गिर गये

कुछ तो 

एक पास बहती नदी के 

पानी में गिर पड़े 

भीग गये 

कुछ मजबूत पत्ते 

कुछ देर तक तैरते रहे 

जो कमजोर थे 

क्षीण थे 

वह तो गिरते ही 

पानी में 

डूब गये 

कुछ हो गये

किनारे से लगी 

नाव में सवार 

जाने के लिए 

इस नदिया के पार 

मौत के बाद भी 

इनके रास्ते की 

रुकावटें कम न हुई 

न माझी मिला 

न पतवार 

न जल की धार 

न इन्हें आगे का 

सफर कराने को 

कोई हुआ तैय्यार

रास्ता रोककर 

काली डरावनी परछाइयों से 

खड़े हो गये

खरपतवार 

कांटों के झाड़ 

काईयों के जाल और 

अपनों की दुत्कार

जीवन भर जो उन्हें न

मिला प्यार 

मरने के बाद भी 

नसीब न हुई 

जीत 

मिली तो बस 

एक करारी हार।


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લોગિન

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