नौ रूपों में पूजी जाती भवानी
नौ रूपों में पूजी जाती भवानी
नवरात्रि की प्रचलित कहानी,
नौ रूपों में पूजी जाती भवानी !
काल को उत्सर्ग करती उत्कर्सिनी,
काली कलिका दंतिनी पिशाचिनी !
माँ दुर्गे तुम ही विंध्यवासिनी,
ब्राह्मणी दैत्यमर्दिनी पताकिनी !
भक्तों के लिए भवरूप कल्याणी,
दुष्टों के लिए बन जाती संहारिणी !
रौद्र तेरा कुछ ऐसा रुद्राणी,
टीके जो सामने किसकी सानी !
नवरात्रि की प्रचलित कहानी,
नौ रूपों में पूजी जाती भवानी !