नैनों को बरसने दो ना
नैनों को बरसने दो ना
सदियाँ लम्बी है या है लम्हा ,
कोई इंतजार को, यूँ ही तरसने दो ना
बंजर जो ग़मों कि ज़मीन है ऐ दिल
ज़रा, नैनों को बरसने दो ना
के भीग जाए, ये ज़ख़्म सारे
तर बतर हो जाए हर आह भी
के सुकून मिले कातिल को मेरे
माफ़ हो जाए हर गुनाह भी
है ग़ैर बुरा या ,है बुरा ,अपना कोई
ज़रा होश को सम्भलने दो ना
वक्त के इस सफ़र में ,हर शख़्स को
ज़रा आईने में उतरने दो ना
यूँ ही तरसने दो ना
नैनों को बरसने दो ना
