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नारी

नारी

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तू क्यों इन राह में पड़े

कंकड़ों से डरती है

इन राह में अाती रुकावटों से

क्यों भटकती है


हौसला रख, बुलंद बन,

अपने अधिकारों के लिए लड़–झगड़

तू आसमान में चमकता सितारा है,

अमृत की बहती धारा है


तू सरस्वती का ज्ञान है,

तू दुर्गा का तेज है

तू काली का क्रोध है, तू गंगा का वेग है

तू एक नारी है,

तू स्वयं शक्ति स्वरूपा है


तू ही हमारा अभिमान है,

तू ही हमारी शान है

तू ही अतुल्य धन है,

तू अटूट साहस की पहचान है


तू एक नारी है,

अपनी कीर्ति दिखा

तू बढ़, आगे निकल,

उदहारण बन...!


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