नारी
नारी


जीने दो मुझ को दुनिया में, आयी हूँ ये ताकीद लिए
रिश्तों की पावनता बनकर तम में अरुणिम उम्मीद लिए
जिससे ना महिमा मंडित हो, मैं वो प्रीत निभाऊंगी।
आने दो मुझको दुनियां में, मैं हर रीत निभाऊंगी।
परलोक सिधारे पति मेरे, मैंने संतानों को पाला।
बतलाओ मुझको तुम सब अब, मैंने किस पर बोझा डाला।
परिवार के लिए खुशियों का, परित्याग करती आई हूं।
जिंदगी के हर इक मोड़ पर, मैं ही सदा लजाई हूँ।
कई युगों से दिखलाया मैंने, नव भाव समर्पण का।
जीते जी ढोया बोझा, मैंने ही मेरे तर्पण का।
खिलवाड़ करो ना भावों से, जग में मुझको आने दो।
मैं भी तो देखूं यह जग, मुझ को भी कदम बढ़ाने दो।
है मां चण्डिके इस धरा पर, तुम फिर से अवतार धरो।
तथाकथित महिषासुरों का, फिर से मां संहार करो।