नारी
नारी
सजदा है मुझे उस नारी पे
जो लोग हँसाये हँसती है
नहीं मतलब उसे खुद की खुशियों से
जो परिवार में खुशियां ढूंढती है।
यूं तो बहुत कहा लोगों ने
नारी ही उनकी शक्ति है
क्या असर हुआ उस शक्ति पे
जब रोज वह खुद को घोटती है।
ना मांगती कोई शौहरत है
सिर्फ आंखों में खुशियां ही है
जो जीती है उस घर के लिए
जो कभी उसका हुआ नहीं।
एक घर जो सिर्फ माँ का है
और एक तो ठहरा ससुराल का
वो दोनो खुद का मान बैठी
क्यूंकि उसमे सिर्फ प्यार भरा।
क्या मांगती है एक नारी
जरा ध्यान दो इस बात पर
देने की मूरत है वही
क्या रक्खा इन भगवानों में।
पहले बेटी फिर बहन तो
बीवी बन स्नेह बिखेरती है
फिर आय़ी मां की बारी जिस पर
खुद नारायण नतमस्तक होते हैं।
प्यार है उसकी रग रग में
मत खेलो उसके जज्बातों से
वो उफ्फ नहीं बोलेगी कभी<
/p>
पर रूह नहीं छोड़ेगी तुम्हें।
नारी सिर्फ एक जिस्म ही नहीं
अंदर मर्यादा छिपी है यहां
मत उजाड़ो इस मर्यादा को
असली रूप यहीं धरती पे छिपा।
ये नारी सिर्फ परदो की नहीं,
कई राज दफ़न है सीने में
मत भूलो अगर वो सिमटे नहीं तो
काली अवतार है यहां।
एक ममता की मूरत को ललकार कर
तुम खो दोगे खुद को ही
ना मिलेगा वो स्नेह प्यार
बस मिलेगी नारी की मार।
यू तो शौक नहीं
काली बनने का उसे
पर शर्म हया त्यागी तुमने यहां
ना नारी को बनाते सामान
ना बनती वो इस रूप की मोहताज़।
कुछ वक्त अभी भी थम सा गया
कर को इज़्ज़त यही कह गया
लौटूंगा जरूर ये तय है
खुद को बदलो ये कह कर गया।
वो दिन भी कहीं दूर नहीं
जब नेक्सट काली अवतार हुआ
कर को इज़्ज़त नारी की सिर्फ
उसी में प्यार है छिपा
सिर्फ उसी में प्यार है छिपा।