रैन
रैन
झमाझम पल में धरती पर जन्नत को
फिर से खुश करने की बारिश..
जिस पल मोतियों की रोशनी
चेहरे पर धीरे-धीरे चमकती है..
जब बदन पर पड़ती है तो
बारिश में नई सांसें बढ़ जाती हैं..
मैं ही नहीं बल्कि मैं भी धरती
अपनी सुख की प्यास से हंसती है।
झमाझम पल में धरती पर जन्नत को
फिर से खुश करने की बारिश..
जिस पल मोतियों की रोशनी
चेहरे पर धीरे-धीरे चमकती है..
जब बदन पर पड़ती है तो
बारिश में नई सांसें बढ़ जाती हैं..
मैं ही नहीं बल्कि मैं भी धरती
अपनी सुख की प्यास से हंसती है।