नारी तुम शक्ति हो।
नारी तुम शक्ति हो।
नारी तुम शक्ति हो।
तेज ओज से परिपूर्ण साहस की अनुरक्ति हो।
रणचंडी का तुम हो अवतार।
कर दो इन निष्ठुर आततायियों का तू संहार।
सदियों से तुम्हें दबाया कुचला गया,
फिर तेरा खुद का संकल्प न टला।
बहुत घूँट-घूँट कर जी ली तूने ,
दो अब अपने आगमन के नमूने।
छिन लो तुम अपना अधिकार,
करो न तुम कुछ भी अधम समाज की सोच - विचार।
उठा लो तुम अपनी अदम्य पौरुष की तलवार
और इन अन्यायियों पर करो तुम शक्ति की प्रहार।
अपने अस्तित्व बचाने की बारी आयी है।
तुम कुछ न अब संकोच करो।
महिषासुर बन बैठै हैं अपने ही, कब तक कोई सहन करे।
अपने कर्तव्य पथ पर तुम बढ़े चलो, बढ़े चलो।
दिखा दो समाज की को तुम अपनी ताकत।
लगा दो ठिकाने तुम इनकी असली औकात।।
नारी तुम शक्ति हो। तेज ओज से परिपूर्ण साहस की अनुरक्ति हो।
आस्था की अनन्य थाती तुम।
कभी माँ, कभी बहन, कभी सच्चे साथी,
कभी प्रेयसी बन प्रेम की पहली पंक्ति तुम।
बेटी के रूप में तुम पिता की परम भक्ति हो।
नारी तुम शक्ति हो।
