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Chandramohan Kisku

Abstract

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Chandramohan Kisku

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नारी रूपी नदी

नारी रूपी नदी

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नदी पवित्र है 

नदी का पानी ठण्डा है 

नदी में नहाने पर 

देह और मन साफ होता है 


नदी में बहा दे रहे हैं गन्दगी 

कल- कारखानों से भी 

नदी में जा रही है गन्दगी 

और नदी वह सब 

ग्रहण करती जा रही हैं 


सभी तरह की अत्याचार 

सहन करती जा रही हैं 

ठीक वैसे, जैसे एक नारी को 

सहने पड़ रहे हैं सभी कुछ

 

इसलिए नदी भी एक 

नारी ही है।


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