नारी पुरुष
नारी पुरुष
क्यूं बाँट दिया संसार को नारी पुरुष के वर्गों में?
जब दोनों एक दूसरे के पूरक हैं दुनिया और स्वर्गों में।
बिन पिता बेटी की विदाई अधूरी है,
पिता का प्यार पाकर ही तो बेटी होती पूरी है।
बिन पति पत्नी कहलाती है विधवा,
इसलिए हे नारी ना समझो खुद को तुम पति की बंधुआ।
पति यदि तुम पर चिल्लाता भी होगा,
तो याद करो दीदी वो बाद में तुम्हे मनाता भी होगा।
भाई के चिढ़ाने को ना दिल पे लगाना बहनी ,
भाई के जैसा हमदर्द ना दूजा मिलेगा बस इतनी बात है कहनी।
दादा और नाना की खिरझिराहट को समझो ज़रा प्यार से,
किस तरह कहानियां सुनाते थे बचपन में और घुमाने ले जाते थे तुम्हें दुलार से।
दोस्तों की लड़ाई में छिपे प्यार को गर तुम समझ पातीं,
तो कभी किसी दोस्त का दिल बराबरी करने के नाम पर ना दुखाती।
बॉस अगर तुम पर कभी चिल्लाता भी होगा,
तो अधिकारियों की गाज से तुम्हें बचाता भी होगा।
ऑटो वाले भैया हो या सब्जी वाले चाचा,
रिक्शा वाले अंकल हों या दुकान वाले काका,
क्या बिगाड़ा इन सबने कौन सा डाला डाका?
क्यूं इक इंसान की गलती की सज़ा तुम सारे पुरुष समाज को देती हो,
हर पुरुष को दरिंदा और गलत ही क्यूं कहती हो?
क्यूं झूठे केस में फंसाया, क्यूं बेमतलब जेल करवाई।
बूढ़े बाप जैसे ससुर और भाई जैसे देवर पर क्यूं ना तुमको दया आई।
जिस तरह हाथ की पाँच उंगलियाँ नहीं बराबर होती हैं,
उसी तरह हर पुरुष के लिए स्त्री नहीं कोई टाइम पास होती है।
हे नारी सुन लो मेरी बात, जो सम्मान दोगी तो सम्मान ही वापस पाओगी,
पुरुषों की छत्र छाया ना रहेगी तो फूल सी मुरझा जाओगी।
ये मत समझना कि मैं नारी विरोधी हूं या पुरुषों से डरकर ऐसा लिखने को मजबूर हूं।
मैं सच को समझती और महसूस करती हूं इसके लिए मैं दोस्तों में मशहूर हूं।
नारी और पुरुष एक गाड़ी के दो पहियों के समान हैं,
नारी और पुरुष दोनों ही अपनी अपनी जगह महान हैं।
(अगर लोग एक दूसरे की इंपॉर्टेंस को समझ लें तो वूमेंस डे या मेंस डे
मनाने की किसी को कभी ज़रूरत ही महसूस ना हो)