नारी की आवाज
नारी की आवाज


नित अच्छा व्यवहार चाहिए, किसी की मार चाहिए
मेरे हक की बात करो तुम, शिक्षा का अधिकार चाहिए
जून में मारी जाती हूं मैं, जग में आने से पहले,
मां भी नीर बहा देती है, बिटिया आई जो सुन ले,
मांगती मैं नहीं किसी से ,मुझे नहीं उधार चाहिए,
अबला हूं इस अबला को, जीने का आधार चाहिए।।
दुर्लभ है सड़कों पर चलना , सुख अनुभूति नहीं पाती
कैसे कैसे दुख सकती हूं , क्या मैं तुम्हें बताती
कह नहीं पाती अगर कह दूं तो ,आंखों में हो बस पानी
इसमें और सुधार चाहिए, नारी का कल्याण चाहिए।।
दहेज की खातिर मेरा जलना ,परिचय है इतिहास यही
क्रंदन करुण दशा है मेरी मेरी ,व्याकुलता ना सही गई
मेरी आखिरी अर्थी हो, वैसा ही अधिकार चाहिए
नारी का उद्धार चाहिए ,मुझको बारंबार चाहिए।।
वेद पुराणों की भाषा को ,कब तक तुम ठुकराओगे
देवी रूप में खड़ी रहूंगी ,जब तक समझ ना पाऊं
हर युग में लक्ष्मी ,दुर्गा ,सावित्री सा अवतार चाहिए
अच्छा सा संसार चाहिए ,सबको मां का प्यार चाहिए।।