नारी हूँ मैं..!
नारी हूँ मैं..!
नारी हूँ मैं..!
ना - तवाँ नहीं ..!
कोमलांगनि नहीं हूँ
शक्तिस्वरूपा हूँ..!
नारायणी हूँ मैं
नारी हूँ मैं..!
दुर्गा हूँ...,
दुर्मतियों को दूर रखती हूँ
पथ प्रदर्शक हूँ,
तुम्हारे मार्ग के दुश्वरियों को दूर कर
तुमको सत् मार्ग दिखाती हूँ!
स्वयं में संपूर्ण हूँ मैं...!
काली हूँ मैं..!
संहारक हूँ
स्वयं के अंदर की दुष्प्रवित्तियों का संहार भी करती हूँ..!
कामनारूपी रक्तबीजों का दमन करती हूँ..!
नारी हूँ..
नारायणी हूँ मैं..!
पार्वती हूँ..
सब छोड़कर आई हूँ
तुमसे अर्थात शिव से साक्षात्कार करने...!
तर्क- वितर्क से परे होकर
पर..!
कमजोर बिल्कुल नहीं हूँ!
रति हूँ अपने कामदेव की
इन्द्राणी भी हूँ मैं...!
राज भी करती हूँ तुम्हारे मन पर
ब्रम्हाणी हूँ मैं..
सृजनहार हूँ सृष्टि की
नारी, नारायणी हूँ मैं!
लक्ष्मी हूँ मैं..!
धन स्वरूपा
धन धान्य से पूर्ण करती हूँ तुमको,
तुम्हारे संसार को,
पालन करती हूँ तुम्हारी सृष्टि का..!
अन्नपूर्णा हूँ मैं..!
हृष्ट पुष्ट करती हूँ तुम सब को
भरण पोषण करती हूँ तुम्हारा..!
नारी हूँ...
नारायणी हूँ मैं..!
नाजुक नहीं हूँ..!
शुभ्रा हूँ..
शुभ्र ज्योत्सना हूँ
हाँ..!
शारदा हूँ मैं..!
प्रज्ञ हूँ मैं..
अपनी संतानों को प्रज्ञावान बनाती हूँ!
नारी हूँ.. !
नारायणी हूँ मैं..!
तुम्हारे छोटे से संसार को
प्रेम, तपस्या, त्याग के भावना से सींच कर ख़ुल्द बनाती हूँ!
तुम्हारे ग़म और ख़ुशी में तुम्हारी हम - नफ़स बनती हूँ!
चलती हूँ संग तुम्हारे मन के आबला को छुपा कर !
कोमल नहीं हूँ, ना -तवाँ नहीं हूँ
जानती हूँ अपनी सुरक्षा करना भी
क्योंकि..
नारी हूँ..
हाँ..
नारी हूँ
नारायणी हूँ मैं.. !!
