नारी हैं नारायणी
नारी हैं नारायणी
समाज की विडंबना,
नारी बिन कल्पना,
बेड़ियों से जकड़ी पड़ी,
नहीं मिली स्वतंत्रता?
पुरुषों से बराबरी,
क्यूँ है करनी हमें?
हाथ से हाथ पकड़,
साथ चलना है हमें!
आम, सेव, संतरा,
सबका अलग स्वाद है,
एक पैमाने पर तुम,
क्यों तोलते हो उन्हें?
शक्ति, सद्बुद्धि, संपत्ति
नारी की ही जात है,
विवेकशील पुरुष के,
सर्वदा ये साथ है!!
गगन, जल, आकाश में,
गर्जना है कर रही,
अन्याय के विरुद्ध,
काली भी हम बन रही!!
अर्थ अनर्थ की बेड़ियाँ,
खण्डित है कर रही,
देश के निर्माण में,
सहयोग हम हैं कर रही!!
पति की है अर्धांगिनी,
पिता की हम नाक है,
इज़्ज़त हमसे बँधी पड़ी,
रचना हम विराट है!!
सुरक्षा की कामना,
भाई की हम शान है,
हर विकटता से लड़ सके,
वो "माँ" भी महान है!!
पद्मिनी सा तेज हम,
लक्ष्मीबाई सी हम वीर है,
पन्ना धाय सा त्याग है,
सावित्री सी हम धीर है!!
सिंधु का खेल हम,
अवनी की उड़ान है,
सारा जग जान रहा,
नारी राष्ट्र सम्मान है!!
"हेमन्त" की हम लेखनी,
उसकी तेज धार है,
नारी दिवस के पर्व पर,
सब नारियों को प्रणाम है!!