नानी की पसंदीदा कविता
नानी की पसंदीदा कविता
बदलकर के खुद को है बदलना जमाना,
सदा हँसते रहना सभी को हँसाना।
सदा मेहनत करना और आलस न लाना,
पसीना बहाकर के किस्मत बनाना।
बनानी हैं गर जो निश्चित सफलता की राहें,
मिलिए सभी से ही फैला के बाँहें।
भला कर सभी का भलाई ही पाना,
सदा मेहनत करना और आलस न लाना।
सदा सुपथ चुनना और कभी भी डरना,
कभी तो कुपथ पर डग भी न धरना।
सदा दुर्बलों की मदद करते रहना,
हालात हों मुश्किल तो भी आगे ही बढ़ना।
सतत निर्बलों को मिले मदद जो तुम्हारी,
सदा ही तेरे सहायक बनेंगे त्रिपुरारी।
मन में जरा सा भी तुम संशय न लाना,
सदा मेहनत करना और आलस न लाना।
जीवन में सुख -दुख आएंगे बारी-बारी,
धीरज-अहम् की होगी ये परीक्षा तुम्हारी।
हौसला बढ़ाए तोड़े ये दुनिया सारी
सोच समझ लेना निर्णय ये काबिलियत तुम्हारी।
सत्पथ पर आगे बढ़ना माॅ॑गे शक्ति सारी,
अडिग तुम बने रहना निभाना खुद जिम्मेदारी।
क्षणिक मुश्किलों से तुम कभी भी ना घबराना,
सदा मेहनत करना और आलस न लाना।
बदलकर के खुद को है बदलना ज़माना,
सदा हॅ॑सते रहना सभी को हॅ॑साना।
भला कर सभी का भलाई भी पाना,
सदा मेहनत करना और आलस न लाना।