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Nikhil Kumkum

Inspirational

5.0  

Nikhil Kumkum

Inspirational

नामिली

नामिली

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पन्ना-पन्ना जोड़ कर तुझे पढ़ा है,     

स्याही-स्याही चूम कर तुझे छुआ है,            

शामों को छोड़कर तुझे बुना है,       

सपनों की बगिया में रोज़ गिरा है,         

लेकिन उस चोट को दिल पे लिया है,           

जिसकी दवा कुएँ में दिया है,           

और इस उम्मीद में जिया है, 

कि इस लाइलाज चोट का इलाज  

उस ख़ुदा ने तुझको दिया है।


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