नाली का कीड़ा
नाली का कीड़ा
मैंने नाली के कीड़े से कहा
कीचड़ में जो तुम
कुलबुला रहे हो
तड़प रहे हो
इधर आओ
तुझे इस नर्क से बाहर निकाल दूं बाहर की दुनिया से
तुम्हारा परिचय करवा दूं
तुम्हारी दुनिया से अलग है
यह दुनिया।
वह बोला
क्या करूंगा बाहर आकर
तुम्हारी दुनिया में।
मेरा तो सारा अस्तित्व ही
इसी नाली में है,
बाहर आकर
मेरा खाना पीना, रहना,
सोना कहां होगा
कैसे होगा।
मैं एक भी दिन
बाहर जी न पाऊंगा
मेरा जो भी साथी बाहर गया
कभी जिंदा वापस नहीं आया।
सबसे बड़ी बात
हमें मनुष्यों की तरह
विकसित होने का
भ्रम भी नहीं पालना।
मैं स्तब्ध थी
उसका तर्क सुन कर।
कितना सही कह रहा था।